उल्लू की गर्दन 270 डिग्री तक कैसे घूमती है? जानिए इसके पीछे का रहस्य!
उल्लू अपनी रहस्यमयी आदतों और अनोखी क्षमताओं के लिए जाना जाता है। उसकी सबसे दिलचस्प विशेषता है गर्दन को लगभग पूरी तरह घुमा लेना। लेकिन क्या उल्लू सच में 360 डिग्री तक गर्दन घुमा सकता है? नहीं, यह एक मिथक है। उल्लू अपनी गर्दन को 270 डिग्री तक घुमा सकता है, यानी वह बिना शरीर हिलाए पीछे देख सकता है। आइए जानते हैं इसके पीछे का विज्ञान।
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उल्लू की गर्दन इतनी लचीली क्यों होती है?
मनुष्यों और कई अन्य जानवरों की तुलना में उल्लू की गर्दन अधिक लचीली होती है। इसका मुख्य कारण है उसकी हड्डियों की संरचना।
1. ज्यादा कशेरुकाएं – जहां इंसानों की गर्दन में केवल 7 कशेरुकाएं (vertebrae) होती हैं, वहीं उल्लू की गर्दन में 14 कशेरुकाएं होती हैं। इससे उसकी गर्दन अधिक लचीली हो जाती है।
2. विशेष रक्त वाहिकाएं – उल्लू की गर्दन में ऐसी रक्त वाहिकाएं (blood vessels) होती हैं, जो मुड़ने पर भी रक्त प्रवाह बनाए रखती हैं। इससे उसकी नसें दबती नहीं हैं और दिमाग को पर्याप्त खून मिलता रहता है।
3. खोपड़ी में आंखों का स्थिर होना – उल्लू की आंखें उसकी खोपड़ी में पूरी तरह स्थिर होती हैं, यानी वह इंसानों की तरह अपनी आंखों को घुमा नहीं सकता। इसलिए उसे अपने चारों ओर देखने के लिए गर्दन घुमानी पड़ती है।
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क्या वह सच में 360 डिग्री तक गर्दन घुमा सकता है?
नहीं। उल्लू की गर्दन 360 डिग्री नहीं, बल्कि 270 डिग्री तक घूम सकती है। यानी वह अपनी गर्दन को दाएं या बाएं घुमाकर पूरी तरह पीछे देख सकता है, लेकिन पूरी तरह घुमा कर सामने नहीं ला सकता।
अगर वह 360 डिग्री तक गर्दन घुमा लेता, तो उसकी रक्त वाहिकाएं और नसें टूट जातीं, जिससे वह तुरंत बेहोश हो जाता या मर जाता। लेकिन प्रकृति ने उसे ऐसा खास सिस्टम दिया है, जिससे वह गर्दन घुमाने पर भी सुरक्षित रहता है।
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उल्लू की इस खासियत के फायदे:
1. बेहतर शिकार – यह रात में शिकार करता है, इसलिए उसे अपने आसपास की हर हलचल को पकड़ने की जरूरत होती है। गर्दन घुमाने की यह क्षमता उसे बिना हिले-डुले पूरे क्षेत्र का अवलोकन करने में मदद करती है।
2. शत्रुओं से बचाव – उल्लू को कई बड़े पक्षियों और जानवरों से खतरा होता है। उसकी 270 डिग्री घूमने वाली गर्दन उसे शत्रुओं पर नजर रखने और सही समय पर भागने में मदद करती है।
3. ऊपर की ओर देखने में आसानी – चूंकि यह अक्सर ऊंचे पेड़ों या चट्टानों पर बैठता है, इसलिए उसकी गर्दन की यह लचीलापन उसे ऊपर और नीचे देखने में मदद करती है।
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सार क्या है:
उसकी सबसे अनोखी विशेषताओं में से एक है उसकी गर्दन की अद्भुत लचक। इंसानों की गर्दन जहां सिर्फ 180 डिग्री तक घूम सकती है, वहीं यह अपनी गर्दन को लगभग 270 डिग्री तक घुमा सकता है। यह गुण उसे रात में शिकार करने और चारों ओर सतर्क निगरानी रखने में मदद करता है।
आमतौर पर पक्षियों की आंखें सिर के किनारे होती हैं, लेकिन उल्लू की आंखें सामने होती हैं और ये स्थिर होती हैं – यानी वे घूम नहीं सकतीं। इसी कमी को पूरा करती है उसकी लचीली गर्दन। गर्दन की 14 हड्डियों (vertebrae) के कारण उल्लू अपनी गर्दन को बिना शरीर हिलाए ही काफी दूर तक घुमा सकता है।
यह प्रक्रिया देखने में जितनी चौंकाने वाली होती है, उतनी ही सुरक्षित भी। वैज्ञानिकों ने पाया है कि उल्लू की गर्दन में विशेष प्रकार की रक्त धमनियां होती हैं, जो रक्त के प्रवाह को गर्दन के घूमने के दौरान भी बाधित नहीं होने देतीं। यही कारण है कि गर्दन को बार-बार घुमाने पर भी उन्हें कोई नुकसान नहीं होता।
यह क्षमता उल्लू को रात के समय शिकार करने वाला बेहतरीन शिकारी बनाती है। बिना कोई आवाज किए सिर घुमा लेना, शिकार को देखना और फिर पलक झपकते हमला करना – ये सब उसी लचीली गर्दन की बदौलत संभव होता है।
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