मछली जो पानी से बाहर निकलकर ज़मीन पर चलती और पेड़ पर भी चढ़ जाती है: Climbing Perch Fish

मछली जो पानी से बाहर निकलकर ज़मीन पर चलती और पेड़ पर भी चढ़ जाती है: Climbing Perch Fish

हम सभी जानते हैं कि मछलियाँ पानी में रहती हैं और तैरती हैं। लेकिन क्या आप यकीन करेंगे कि कुछ मछलियाँ ऐसी भी हैं जो पानी से बाहर आकर ज़मीन पर चलती हैं? और इससे भी बड़ी हैरानी की बात ये है कि कुछ मछलियाँ तो पेड़ों पर भी चढ़ सकती हैं। जी हाँ, प्रकृति के अजूबों में से एक है क्लाइम्बिंग पर्च (Climbing Perch Fish) मछली, जो अपनी अद्भुत क्षमताओं से वैज्ञानिकों को भी हैरत में डाल देती है।

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A climbing perch fish walking on muddy ground with fins
Climbing Perch – the fish that can walk and climb

क्लाइम्बिंग पर्च मछली कहाँ पाई जाती है?

क्लाइम्बिंग पर्च (Climbing Perch Fish) मुख्य रूप से भारत, बांग्लादेश, थाईलैंड, इंडोनेशिया और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में पाई जाती है। ये मछली ताजे पानी के तालाबों, झीलों, नदियों और दलदली इलाकों में रहती है। इन इलाकों में पानी की मात्रा अक्सर घटती-बढ़ती रहती है, जिससे इन्हें नई जगह तलाशनी पड़ती है।

क्लाइम्बिंग पर्च (Climbing Perch Fish) की शारीरिक बनावट और विशेषताएं

क्लाइम्बिंग पर्च की लंबाई आमतौर पर 15 से 25 सेंटीमीटर तक होती है। इसका शरीर हल्का भूरे या हरे रंग का होता है, जिससे यह आसानी से अपने आसपास के वातावरण में छिप जाती है। इसकी स्किन मोटी होती है, जो ज़मीन पर चलते समय सूखने से बचाती है। Climbing Perch Fish की सबसे बड़ी खासियत होती है इसके मजबूत पंख, जो किसी पैर की तरह काम करते हैं।

कैसे करती है ज़मीन पर चलने का काम?

क्लाइम्बिंग पर्च मछली अपने मजबूत पंखों (फिन्स) का इस्तेमाल पैर की तरह करती है। ये अपने पंखों को ज़मीन पर टिकाकर धीरे-धीरे आगे बढ़ती हैं। ऐसा लगता है मानो ये मछली ज़मीन पर रेंग रही हो। Climbing Perch Fish छोटी दूरी ही नहीं, बल्कि कई मीटर तक आसानी से चल सकती है।

पेड़ों पर कैसे चढ़ जाती है?

सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि Climbing Perch Fish पेड़ों तक पर चढ़ सकती है। हालांकि यह बहुत ऊंचे पेड़ों पर नहीं चढ़ती, लेकिन गीले, नमी वाले पेड़ या झाड़ियों की निचली शाखाओं तक पहुंच सकती है। यह अपने पंख और पूंछ की मदद से पेड़ की सतह को पकड़कर ऊपर की ओर चढ़ती है।

पानी के बाहर सांस कैसे लेती है?

क्लाइम्बिंग पर्च मछली की एक और अद्भुत खूबी यह है कि यह पानी के अलावा हवा से भी ऑक्सीजन ले सकती है। इसके सिर के अंदर एक विशेष अंग होता है जिसे लैबिरिंथ (Labyrinth) कहते हैं। यह अंग हवा से ऑक्सीजन लेकर उसे सीधे खून तक पहुंचाता है। यही वजह है कि ये मछली पानी के बाहर भी कई घंटे तक जीवित रह सकती है।

ज़मीन पर चलने की ज़रूरत क्यों पड़ती है?

कई बार तालाब या झील सूखने लगती है या पानी में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऐसे में क्लाइम्बिंग पर्च को जीवित रहने के लिए नई जगह की तलाश करनी पड़ती है। यह अपनी इस अद्भुत क्षमता का इस्तेमाल कर नई झील या नदी की तलाश में निकल जाती है। इस दौरान ये ज़मीन पर ही नहीं, बल्कि छोटे-छोटे गीले पेड़ों और झाड़ियों पर भी आसानी से चढ़ जाती है।

क्या इंसानों के लिए खतरनाक है ये मछली?

आमतौर पर क्लाइम्बिंग पर्च इंसानों के लिए खतरनाक नहीं होती। लेकिन इसकी स्किन पर छोटे कांटे होते हैं, जो पकड़ने पर हल्की चोट पहुंचा सकते हैं। इसलिए इसे नंगे हाथों से पकड़ने की सलाह नहीं दी जाती।

पर्यावरण पर क्या असर पड़ता है?

कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया में यह मछली दूसरी प्रजातियों के लिए खतरा बन रही है। वहां यह तेजी से फैलकर स्थानीय मछलियों के खाने और जगह को प्रभावित कर रही है। इसलिए इसे नियंत्रित करने के लिए विशेष उपाय भी अपनाए जाते हैं।

अंत में जाते-जाते

प्रकृति ने जीवों को अद्भुत क्षमताओं से नवाजा है, और क्लाइम्बिंग पर्च मछली इसका बेहतरीन उदाहरण है। यह हमें सिखाती है कि जीवित रहने के लिए केवल पारंपरिक तरीके ही नहीं, बल्कि नई चुनौतियों का सामना करने के लिए नई तकनीकों को अपनाना भी ज़रूरी है।

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