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क्या जानवरों को खतरे का आभास हो जाता है? जानिए जानवरों की छठी इंद्रिय का रहस्य

जानवरों की छठी इंद्रिय की भूमिका: जब जानवर अचानक बेचैन हो जाएं… तो कुछ बड़ा होने वाला है?

कभी आपने देखा है कि कुत्ता अचानक भौंकने लगे, बिल्ली किसी कोने में चुपचाप बैठी हो, या पक्षी एक साथ आसमान में उड़ जाएं… और कुछ ही देर बाद भूकंप या कोई बड़ा हादसा हो जाए?

क्या ये सिर्फ संयोग है… या जानवरों की छठी इंद्रिय सचमुच होती है?

विज्ञान और अनुभव — दोनों इस रहस्य से धीरे-धीरे पर्दा उठा रहे हैं। आज हम जानेंगे कि कैसे जानवर बिना शब्दों के चेतावनी दे देते हैं, और हम इंसानों को उनसे क्या सीखना चाहिए।

एक हाई-रिज़ोलूशन थंबनेल जिसमें जानवरों की मूक चेतावनी शक्ति को विज़ुअली दिखाया गया है

1. जानवरों की छठी इंद्रिय इंसानों से तेज क्यों होती है?

इंसानों की तुलना में जानवरों की छठी इंद्रिय बहुत अधिक संवेदनशील होती है। उदाहरण के लिए:

  • कुत्ते 40 हर्ट्ज से लेकर 60,000 हर्ट्ज तक की ध्वनियाँ सुन सकते हैं, जबकि इंसान अधिकतम 20,000 हर्ट्ज तक ही सुन सकता है।
  • बिल्ली बहुत धीमी और हल्की हलचल या कंपन को महसूस कर सकती है, जो इंसान को पता भी नहीं चलता।
  • पक्षी मौसम और चुंबकीय क्षेत्र में छोटे बदलावों को भी पहचान लेते हैं।

ये सभी क्षमताएँ उनके जीवित रहने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

जानवरों की छठी इंद्रिय ने उन्हें हजारों वर्षों के प्राकृतिक चयन (natural selection) से विकसित किया है।


2. भूकंप से पहले जानवरों का व्यवहार क्यों बदलता है?

भूकंप से पहले पृथ्वी की प्लेटें खिसकती हैं, जिससे ज़मीन के भीतर कंपन होता है। इन कंपन को जानवर बहुत पहले से महसूस कर लेते हैं। जापान और इंडोनेशिया जैसे देशों में यह प्रचलित है कि अगर जानवर अजीब तरह से बर्ताव करें, तो सतर्क हो जाना चाहिए।

एक रिपोर्ट के अनुसार, 2004 की सुनामी से पहले भारत और श्रीलंका के कई गाँवों में जानवर ऊँची पहाड़ियों की ओर जाते हुए देखे गए थे।

इनमें शामिल थे:

  • जंगली हाथी
  • भैंसें
  • पालतू कुत्ते

इंसान तब तक आश्वस्त थे, लेकिन जानवरों की छठी इंद्रिय उन्हें पहले ही दिशा दे रही थी।

क्या ये सभी जानवर सच में कंपन महसूस करते हैं?

कुछ शोधों में बताया गया है कि जानवरों के कान और पैरों में विशेष रेसप्टर्स होते हैं, जो माइक्रो-सेस्मिक मूवमेंट (micro seismic movements) को पहचान लेते हैं।

यह भी देखा गया है कि जानवरों के शरीर में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सेंसर जैसे तत्व भी होते हैं, जो प्राकृतिक आपदा के दौरान सक्रिय हो जाते हैं।


3. क्या जानवरों की छठी इंद्रिय मौत का भी आभास कर सकती है?

जी हाँ। यह विषय जितना भावनात्मक है, उतना ही रहस्यमय भी। कई बार:

  • पालतू कुत्ते किसी बीमार व्यक्ति के पास से नहीं हटते
  • बिल्ली एक कोने में बैठकर किसी को लगातार घूरती है
  • पक्षी अचानक घर छोड़ देते हैं

विज्ञान के अनुसार, जब किसी व्यक्ति के शरीर में अंत की अवस्था शुरू होती है, तो शरीर से कुछ बॉयोकेमिकल चेंज होते हैं, जैसे कि:

  • त्वचा की गंध में बदलाव
  • पसीने के रासायनिक घटक बदलना
  • श्वास प्रक्रिया में परिवर्तन

जानवरों की घ्राण शक्ति इन बदलावों को पकड़ लेती है।

इसीलिए कुछ कुत्ते अस्पतालों में लगाए जाते हैं:

कई अस्पतालों में स्पेशल सर्विस डॉग्स होते हैं, जो कैंसर, हाइपोग्लाइसीमिया (low sugar), या स्ट्रोक आने से पहले ही डॉक्टरों को संकेत दे सकते हैं। यह तकनीक आज मेडिकल अलर्ट सिस्टम का हिस्सा बन चुकी है।


हमारे चैनल पर जानवरों की छठी इंद्रिय का हिन्दी वीडियो देखें:


4. तूफान, बाढ़ या प्राकृतिक आपदाओं से पहले जानवरों की हरकतें

तूफान आने से पहले हवा का दबाव कम होता है, नमी बढ़ती है और बिजली के कण वातावरण में बढ़ जाते हैं। ये सभी बातें जानवरों की छठी इंद्रिय को असहज कर देती हैं।

उदाहरण:

  • पक्षी दिशा बदलकर सुरक्षित क्षेत्र की ओर उड़ जाते हैं
  • मेंढक और सांप सतह पर आ जाते हैं
  • बिल्ली और कुत्ते एक ही दिशा में लगातार घूरते हैं या छिपने लगते हैं

कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि जानवरों को आयनिक चार्ज, स्टैटिक बिजली और वायुमंडलीय कंपन पहले से पता चल जाते हैं।


5. जानवरों की छठी इंद्रिय या विज्ञान? दोनों में क्या फर्क है?

कई लोग इसे आध्यात्मिक शक्ति या छठी इंद्रिय मानते हैं, लेकिन वैज्ञानिक इसे निम्न प्रकार से परिभाषित करते हैं:

  • Seismic Sensitivity: जानवर ज़मीन के सूक्ष्म कंपन को जल्दी पकड़ लेते हैं।
  • Electromagnetic Awareness: इलेक्ट्रिक और मैग्नेटिक बदलाव का अनुभव जानवरों को हो जाता है।
  • Olfactory Perception: घ्राण शक्ति के ज़रिए जानवर हवा में मौजूद बदलावों को सूंघकर समझते हैं।

इस विषय पर कई संस्थानों ने गहन रिसर्च की है, जिनमें जापान की Earthquake Animal Prediction Agency और USA की Center for Animal Behavior प्रमुख हैं।


6. कौन-कौन से जानवरों की छठी इंद्रिय की शक्ति अधिक देखी गई है?

जानवरप्रमुख संवेदनाकिस घटना से पहले सक्रिय
कुत्ताघ्राण, श्रवणमौत, दौरा, भूकंप
बिल्लीचुंबकीय क्षेत्र, कंपनआपदा, मृत्यु
हाथीज़मीन की कंपनसुनामी, भूकंप
पक्षीवायुमंडलीय दबाव, दिशातूफान, विस्फोट
सांपज़मीन की गर्मी, कंपनभूकंप, सूखा

Watch English video of our youtube channel:


7. क्या जानवरों का व्यवहार देखकर मानव जीवन बचाया जा सकता है?

बिलकुल। कई देशों में इसका उपयोग शुरू हो चुका है।

कुछ उपाय:

  • ग्रामीण क्षेत्रों में जानवरों के व्यवहार की निगरानी की जाए
  • स्कूलों और गांवों में ‘जानवर चेतावनी अलर्ट’ सिखाया जाए
  • आपदा प्रबंधन में पालतू जानवरों के व्यवहार को रिकॉर्ड किया जाए

क्या भारत में इसका कोई प्रयोग हुआ है?

2015 में सिक्किम राज्य सरकार ने एक पायलट प्रोजेक्ट में पालतू जानवरों के व्यवहार को भूकंप पूर्व संकेतों के रूप में रिकॉर्ड किया। यह प्रयोग सफलता के करीब था, लेकिन अब भी बड़े स्तर पर लागू नहीं हो सका है।


8. जानवरों को ट्रेनिंग देकर चेतावनी प्रणाली में जोड़ा जा सकता है?

जी हां। कई NGOs और रिसर्च लैब्स इस दिशा में काम कर रही हैं:

  • Medical Alert Dogs को ट्रेनिंग दी जाती है
  • Seizure Alert Dogs दौरे से पहले व्यवहार बदलकर सतर्क करते हैं
  • Search and Rescue Dogs आपदा के बाद इंसानों को ढूंढ निकालते हैं

इन्हें और गहराई से समझकर हम उन्हें प्राकृतिक चेतावनी के लिए भी उपयोग कर सकते हैं।


9. ऐतिहासिक घटनाएँ जहाँ जानवरों की छठी इंद्रिय ने भविष्य बताया

  • 1975, हाइचेंग, चीन: हजारों सांप ठंड में बिलों से बाहर आ गए। कुछ ही दिनों में भूकंप आया। शहर को खाली कर दिया गया और हजारों जानें बच गईं।
  • 2004, इंडोनेशिया-सुनामी: समुद्र तटों पर हिरण, हाथी और अन्य जानवरों को पहले ही पहाड़ियों की ओर जाते देखा गया। इंसान मारे गए लेकिन जानवर बच गए।

10. FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

Q1. क्या सभी जानवरों की छठी इंद्रिय में ये चेतावनी देने की शक्ति होती है?

नहीं, कुछ जानवरों में यह शक्ति ज़्यादा होती है — जैसे कि कुत्ते, हाथी, पक्षी आदि।

Q2. क्या विज्ञान इस पर पूरी तरह सहमत है?

विज्ञान इसे प्रमाणित करने में लगा है और कई रिसर्च इसे समर्थन दे रही हैं। लेकिन अभी इसे आधिकारिक चेतावनी तंत्र में शामिल नहीं किया गया है।

Q3. क्या हम जानवरों से सीखकर अपनी इंद्रियाँ तेज कर सकते हैं?

हम 100% तो नहीं, लेकिन जागरूकता, प्रकृति से जुड़ाव और संवेदना बढ़ाकर हम खतरे को जल्दी पहचान सकते हैं।


निष्कर्ष: जानवरों की चेतावनी को हल्के में न लें

जानवर सिर्फ शोर करने वाले जीव नहीं,
बल्कि वो प्राकृतिक संकेतों को समझने वाले जीवित अलार्म सिस्टम हैं।

उनकी छठी इंद्रिय आज भी इंसानों की समझ से आगे है।

तो अगली बार जब आपका कुत्ता बिना वजह भौंके…
या बिल्ली आपको अनदेखी नज़रों से देखे —
तो रुकिए और सोचिए…
शायद वो आपको कुछ ‘अनकहा’ बताना चाह रही है।


ऐसे ही और Animal Facts पढ़ते रहिए:
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