मिट्टी का घड़ा और बोतल को पहली बार इस्तेमाल करने का सही तरीका, सावधानियाँ और उपाय
गर्मियाँ आते ही हमें याद आता है, मिट्टी के घड़े या बोतल का ठंडा-ठंडा, प्राकृतिक पानी। लेकिन क्या आप जानते हैं, नया घड़ा या बोतल सीधे इस्तेमाल नहीं किया जा सकता? इसे पहले ठीक से सीज़न (तैयार) करना जरूरी है।
अगर आप भी चाहते हैं कि आपका घड़ा लंबे समय तक चले और पानी हमेशा ताज़ा और ठंडा बना रहे, तो इस लेख को अंत तक ज़रूर पढ़ें।
वैज्ञानिक कारण:
- मिट्टी का घड़ा ना सिर्फ पानी ठंडा करता है, बल्कि उसमें pH लेवल भी बैलेंस करता है
- घड़े में रखा पानी मेटाबॉलिज्म सुधारता है, डाइजेशन में मदद करता है, और शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालता है
मिट्टी का घड़ा और मिट्टी की बोतल सीज़न क्यों करें?
- मिट्टी की कच्ची गंध दूर होती है।
- मिट्टी में मौजूद बैक्टीरिया और धूल साफ हो जाती है।
- पानी में आने वाला मिट्टी का स्वाद नियंत्रित हो जाता है।
- घड़ा या बोतल जल्दी क्रैक नहीं होती।
मिट्टी का घड़ा और बोतल सीज़न करने का सही तरीका:
1. पहली धुलाई
सबसे पहले घड़े और बोतल को साफ पानी से धोएं। कोई साबुन या डिटर्जेंट इस्तेमाल न करें।
2. बेकिंग सोडा से सफाई
- 1 से 2 चम्मच खाने वाला बेकिंग सोडा 5 से 6 लीटर पानी में डालें।
- इसे अच्छे से घोलकर घड़े और बोतल में भर दें।
- इस मिश्रण को 12 घंटे तक रखें।
3. दुबारा धुलाई
12 घंटे बाद बेकिंग सोडा वाला पानी फेंक दें और साफ पानी से अच्छी तरह धो लें।
4. अंतिम भिगोना (Final Soaking)
अब दोनों बर्तनों को साफ पानी से भरकर, 12-24 घंटे तक भिगोकर रखें। इससे पानी का स्वाद पूरी तरह संतुलित हो जाएगा। इससे मिट्टी के छिद्र activate हो जाते हैं और स्वाद नेचुरल हो जाता है। घड़े को ढक्कन के बिना खुला रखें ताकि हवा अंदर आ सके और घड़ा breathe कर सके।
घड़ा इस्तेमाल करते समय सावधानियाँ:
सावधानियाँ जो बहुत लोग नजरअंदाज़ कर देते हैं:
घड़े में बर्फ या फ्रिज का पानी न डालें
- इससे मिट्टी का घड़ा थर्मल शॉक से क्रैक कर सकता है।
- मिट्टी का नैचुरल ठंडापन ही सबसे बेहतर है।
झूठा बर्तन या गंदे हाथ अंदर न डालें
क्या झूठा बर्तन डालने से मिट्टी का घड़ा खराब हो जाता है?
यह भी सच है — पर वजह थोड़ी अलग है:
- मिट्टी के बर्तन में सूक्ष्म छिद्र (micro-pores) होते हैं, जो पानी को ठंडा करते हैं।
- अगर आप उसमें झूठा बर्तन या गंदगी डालते हैं, तो ये छिद्र ब्लॉक हो जाते हैं
- इससे पानी गर्म रहने लगता है, क्योंकि कूलिंग का नेचुरल सिस्टम बंद हो जाता है
- इसके अलावा, झूठे बर्तन से बैक्टीरिया पनप सकते हैं, जिससे पानी की गंध भी खराब हो जाती है
- घड़े में कभी भी झूठा बर्तन न डालें, न ही हाथ बार-बार अंदर डालें।
हर 2-3 दिन में पानी बदलें
- ताकि पानी ताज़ा, शुद्ध और सेहतमंद बना रहे।
छांव में रखें, धूप से बचाएं
- ज्यादा गर्मी से मिट्टी की नमी खत्म हो सकती है और घड़ा टूट सकता है।
एक आम सवाल: क्या बर्फ डालने से घड़ा खराब हो जाता है?
उत्तर: हां!
बर्फ या फ्रिज का ठंडा पानी डालने से घड़े में अचानक तापमान गिर जाता है, जिसे मिट्टी बर्दाश्त नहीं कर पाती।
इससे वो चटक सकता है या अंदर से कमजोर हो सकता है।
घड़े से हल्का रिसाव हो तो क्या करें?
अगर नया घड़ा हल्का रिस रहा है (सिर्फ नमी या बूँद-बूँद रिसाव), तो घबराने की जरूरत नहीं है। यह अक्सर 24–48 घंटे में अपने-आप बंद हो जाता है क्योंकि मिट्टी के छिद्र भीगकर बंद हो जाते हैं। लेकिन अगर रिसाव अधिक हो (धार जैसी स्थिति), तो नीचे दिए गए देसी उपाय को अपनाएं:
देसी उपाय: चावल का मांड (Rice Starch)
- चावल को 70–80% तक उबालें और उसका मांड निकालें।
- इस मांड को घड़े में भर दें और 8–10 घंटे तक ऐसे ही छोड़ दें।
- फिर घड़े को सादे पानी से धो लें और दोबारा 4–6 घंटे पानी भरकर छोड़ सकते हैं।
- इससे घड़े की दरारें या छिद्र बंद हो जाते हैं और रिसाव रुक जाता है।
घड़े का इतिहास और महत्व:
मिट्टी के घड़े का उपयोग हजारों साल पहले हड़प्पा सभ्यता में शुरू हुआ था। प्राकृतिक कूलिंग सिस्टम, सेहत के लिए लाभकारी और पर्यावरण के अनुकूल होने की वजह से यह भारत की संस्कृति का अहम हिस्सा बन गया। संस्कृत में इसे “कलश” कहा जाता है, जो शुभता और पवित्रता का प्रतीक भी है।
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अंत में जाते-जाते:
मिट्टी का घड़ा या बोतल सिर्फ पानी रखने का बर्तन नहीं, बल्कि प्रकृति का वरदान है। सही देखभाल और उचित तरीके से तैयार करने से यह गर्मी में आपके परिवार को स्वस्थ, शुद्ध और प्राकृतिक रूप से ठंडा पानी देगा। इसे अपनाएं और अपनी संस्कृति को जीवंत बनाए रखें!
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