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ब्रेन-ईटिंग अमीबा (Naegleria fowleri): इंसानी दिमाग पर हमला करने वाला खतरनाक परजीवी!

माइक्रोस्कोप के नीचे दिखता ब्रेन ईटिंग अमीबा

 

ब्रेन ईटिंग अमीबा

प्रकृति में कुछ ऐसे जीव पाए जाते हैं जो देखने में तो छोटे होते हैं, लेकिन उनका असर विनाशकारी होता है। इन्हीं में से एक बेहद खतरनाक जीव है ब्रेन-ईटिंग अमीबा (Brain-Eating Amoeba), जिसे वैज्ञानिक भाषा में Naegleria fowleri कहते हैं। यह ऐसा सूक्ष्म परजीवी (Parasite) है, जो इंसान के दिमाग तक पहुँचकर उसे तेजी से नष्ट कर सकता है।

इस ब्लॉग पोस्ट में हम ब्रेन-ईटिंग अमीबा के बारे में विस्तार से जानेंगे, ताकि आप इससे बचाव के लिए जागरूक हो सकें।


ब्रेन-ईटिंग अमीबा (Naegleria fowleri) क्या है?

ब्रेन-ईटिंग अमीबा (Naegleria fowleri) एक अत्यंत सूक्ष्म, एकल-कोशिका वाला परजीवी होता है जो गर्म और स्थिर जल स्रोतों (जैसे झीलें, तालाब, नदियाँ, और बिना क्लोरीन वाले स्विमिंग पूल) में पाया जाता है। सामान्यतः इसकी मौजूदगी का पता नहीं चलता क्योंकि यह नग्न आँखों से दिखाई नहीं देता, लेकिन इसके परिणाम बेहद घातक हो सकते हैं।

इस अमीबा का आकार सिर्फ 8 से 15 माइक्रोमीटर तक होता है, लेकिन इसके बावजूद इसका इंसान के शरीर पर असर बहुत तेजी से होता है।


इंसान के शरीर में कैसे प्रवेश करता है यह अमीबा?

Naegleria fowleri अमूमन नाक के जरिए इंसानी शरीर में प्रवेश करता है। जब कोई व्यक्ति दूषित पानी में तैरता है या नहाता है, तो यह पानी उसकी नाक के माध्यम से शरीर में दाखिल हो सकता है। इसके बाद अमीबा तेज़ी से इंसान के दिमाग तक पहुंचता है, जहाँ यह मस्तिष्क की कोशिकाओं पर हमला करके उन्हें नष्ट करने लगता है।

यह ध्यान देना ज़रूरी है कि यह अमीबा पीने के पानी के माध्यम से शरीर में प्रवेश नहीं करता। इसका संक्रमण केवल नाक के माध्यम से होता है।


हमारा वीडियो देखें

ब्रेन-ईटिंग अमीबा के संक्रमण के लक्षण क्या हैं?

Naegleria fowleri के संक्रमण को मेडिकल भाषा में प्राइमरी एमिबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) कहा जाता है। यह एक बेहद गंभीर संक्रमण है, जिसके शुरुआती लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 2 से 15 दिन के भीतर नजर आने लगते हैं। इसके सामान्य लक्षण हैं:

  • तेज़ सिरदर्द
  • गर्दन में अकड़न
  • तेज़ बुखार
  • मतली और उल्टी
  • चक्कर आना और बैलेंस बिगड़ना
  • दौरे पड़ना (Seizures)
  • अचेत अवस्था (Coma)

यह संक्रमण बेहद तेजी से बढ़ता है और कई मामलों में संक्रमण की पहचान होने तक मरीज की हालत बेहद गंभीर हो चुकी होती है।


कितना खतरनाक है यह संक्रमण?

ब्रेन-ईटिंग अमीबा संक्रमण को दुनिया के सबसे घातक संक्रमणों में से एक माना जाता है। आंकड़ों के अनुसार, इस संक्रमण के 97% मामलों में मरीज की मौत हो जाती है। इसका मतलब है कि यदि इसका समय पर सही इलाज न मिले तो इससे बच पाना लगभग असंभव होता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी CDC के मुताबिक, अब तक दुनियाभर में इसके लगभग 300 से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें सिर्फ गिने-चुने लोग ही बच पाए हैं।


इस संक्रमण से बचाव कैसे किया जा सकता है?

इस घातक संक्रमण का फिलहाल कोई पूर्ण इलाज मौजूद नहीं है, इसलिए इससे बचाव करना बेहद आवश्यक है। कुछ सावधानियाँ हैं जिन्हें अपनाकर इससे सुरक्षित रहा जा सकता है:

  • गर्म मौसम में बिना क्लोरीन या ठीक से फ़िल्टर किए हुए पूल, झील या तालाब में नहाने से बचें।
  • पानी में कूदने से पहले नाक पर क्लिप या प्लग का प्रयोग करें, ताकि पानी नाक में न जा सके।
  • स्विमिंग पूल और पानी के स्रोतों की नियमित जांच और उचित क्लोरीन का प्रयोग करें।
  • अगर किसी प्राकृतिक स्रोत से स्नान या तैराकी करनी है तो यह सुनिश्चित करें कि पानी साफ हो और उसकी सुरक्षा जांच हो चुकी हो।

इस संक्रमण की पहचान और उपचार कैसे होता है?

ब्रेन-ईटिंग अमीबा के संक्रमण का पता लगाना थोड़ा कठिन है, क्योंकि इसके लक्षण दूसरे आम संक्रमणों जैसे मेनिन्जाइटिस (Meningitis) से मिलते-जुलते होते हैं। डॉक्टर आमतौर पर स्पाइनल फ्लूइड (रीढ़ की हड्डी का द्रव) के नमूने लेकर इसकी जांच करते हैं।

यदि संक्रमण की पहचान जल्दी हो जाती है, तो डॉक्टर एंटी-फंगल दवाएं (जैसे एम्फोटेरिसिन बी) और अन्य विशेष दवाओं का प्रयोग करते हैं। हालांकि, यह उपचार बहुत कम मामलों में सफल होता है, इसलिए बचाव ही सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है।


भारत में इस अमीबा के संक्रमण के मामले

भारत जैसे देशों में Naegleria fowleri संक्रमण के मामले बेहद दुर्लभ हैं, लेकिन पूरी तरह से असंभव नहीं हैं। गर्मियों के दौरान, जब तापमान अधिक होता है, तब इस अमीबा के संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए हमेशा सतर्क रहना चाहिए और सार्वजनिक जल स्रोतों के संपर्क में आने से पहले उचित सावधानी बरतनी चाहिए।


यहाँ हर शाम लाखों चमगादड़ एक साथ गुफा से बाहर निकलते हैं, जिससे आसमान कुछ देर के लिए काला पड़ जाता है।

अंत में जाते जाते

ब्रेन-ईटिंग अमीबा भले ही बहुत दुर्लभ हो, लेकिन इसका प्रभाव बेहद घातक है। इसीलिए जरूरी है कि इस खतरनाक परजीवी के बारे में जागरूकता फैलाई जाए ताकि लोग सुरक्षित रह सकें।

क्या आप पहले से ही इस खतरनाक अमीबा के बारे में जानते थे? और अगर आप किसी अनजान स्रोत से पानी के संपर्क में आते हैं, तो क्या सावधानी रखते हैं? हमें कमेंट में बताएं।

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