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भारतीय बैंगनी मेंढक: साल में सिर्फ दो हफ्ते बाहर आने वाला भारत का सबसे अनोखा मेंढक

भारतीय बैंगनी मेंढक (Indian Purple Frog):


परिचय: जंगल की मिट्टी में छिपा लाखों साल पुराना रहस्य

भारत के वेस्टर्न घाट के गहरे और घने जंगलों में, जहाँ इंसानी कदम भी कम ही पहुंचते हैं, एक रहस्यमय जीव मिट्टी के नीचे सालभर छुपा रहता है। लोग इसके बारे में तरह-तरह की कहानियाँ सुनाते हैं, स्थानीय जनजातियाँ इसे शुभ मानती हैं, और वैज्ञानिक इसे “लिविंग फॉसिल” यानी जीवित जीवाश्म कहते हैं।
यह कोई आम मेंढक नहीं, बल्कि भारतीय बैंगनी मेंढक (Indian Purple Frog) है — जिसे वैज्ञानिक भाषा में Nasikabatrachus sahyadrensis कहा जाता है। इसकी खोज ने दुनिया को चौंका दिया, क्योंकि यह न सिर्फ दुर्लभ है, बल्कि इसका जीवनचक्र, व्यवहार और बनावट – सबकुछ आम मेंढकों से बिल्कुल अलग है।

भारतीय बैंगनी मेंढक जो साल में सिर्फ दो हफ्ते के लिए ज़मीन पर आता है

I. भारतीय बैंगनी मेंढक (Indian Purple Frog): वैज्ञानिक वर्गीकरण और पहचान

  • वैज्ञानिक नाम: Nasikabatrachus sahyadrensis
  • परिवार: Nasikabatrachidae
  • पहचान:
    • गहरा बैंगनी रंग
    • मोटा और गोलाकार शरीर
    • नुकीला थूथन
    • बेहद छोटी आँखें
    • छोटी, मजबूत टांगें

यह आकार में दिखने में भले ही साधारण लगे, लेकिन असल में इसका अस्तित्व धरती पर करीब 12 करोड़ साल से है — यानी डाइनोसोर के युग से भी पहले!


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II. आवास: वेस्टर्न घाट की गीली धरती

भारतीय बैंगनी मेंढक (Indian Purple Frog) सिर्फ भारत के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से, खासतौर पर केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र के वेस्टर्न घाट (Western Ghats) में पाया जाता है।
वेस्टर्न घाट यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट है और जैव विविधता का खजाना माना जाता है। यहाँ की जलवायु, लगातार बारिश और मिट्टी की कोमलता इस मेंढक के लिए परफेक्ट है।
ये मेंढक सालभर लगभग 3 से 4 फीट गहरी मिट्टी के नीचे छिपा रहता है। बाहर आना तो जैसे सिर्फ एक त्यौहार जैसा है – जब मानसून की पहली बारिश होती है, तभी यह ज़मीन की सतह पर आता है।


III. जीवनचक्र: दो हफ्तों की भागदौड़, फिर सालभर गुमनामी

Indian Purple Frog का जीवन अद्भुत है।

  • मानसून के आते ही नर और मादा मेंढक सतह पर आते हैं।
  • इनका मुख्य उद्देश्य केवल प्रजनन (Reproduction) है।
  • नर अपनी विशिष्ट तेज़ आवाज़ (“ग्रंटिंग”) से मादा को आकर्षित करते हैं।
  • मादा मेंढक पानी के बहाव में या छिछले तालाबों में सैकड़ों अंडे देती है।
  • अंडों से जल्दी ही टैडपोल (भूरे रंग के बच्चें) निकलते हैं।
  • ये टैडपोल बहाव वाले पानी में बड़ी तेज़ी से बढ़ते हैं और जल्द ही मिट्टी में छिपने की कला सीख जाते हैं।

खास बात:
इनमेंढकों का ज़मीन के नीचे रहना ही इनकी सुरक्षा है। जब बाकी Amphibians सालभर सतह पर रहते हैं, ये अपने खास व्यवहार से सूखा, गर्मी, और शिकारी – सब से बच जाते हैं।


IV. व्यवहार: धरती के नीचे का जीवन और आहार

भारतीय बैंगनी मेंढक (Indian Purple Frog) का अधिकांश जीवन भूमिगत ही बीतता है।

  • ये अपनी मजबूत, छोटी टांगों की मदद से मिट्टी में सुरंगें बनाते हैं।
  • इनका शरीर बैंगनी, स्लिपरी और मोटा होता है जिससे मिट्टी में आसानी से सरक सकते हैं।
  • ये मुख्य रूप से मिट्टी में रहने वाले कीड़े-मकोड़ों, खासकर दीमक (Termites) का शिकार करते हैं।
  • इनका नुकीला थूथन दीमकों की सुरंगों में घुसकर शिकार पकड़ने में मदद करता है।
  • बहुत कम ही ये सतह पर पाए जाते हैं, वो भी बस प्रजनन काल में।

V. वैज्ञानिक शोध: नई खोजें और डीएनए का रहस्य

2003 में जब वैज्ञानिकों ने इसे पहली बार डिटेल में देखा, तो इसका डीएनए टेस्ट कर चौंक गए।

  • इसका डीएनए बताता है कि यह प्रजाति करोड़ों सालों से बिना बदले अस्तित्व में है — यानी लगभग “एवोल्यूशनरी फॉसिल”।
  • वैज्ञानिकों के लिए यह रिसर्च का विषय बन गया, क्योंकि यह बाकी मेंढकों से बहुत अलग है:
    • बाकी मेंढकों के पैर लंबे होते हैं, इसके छोटे
    • बाकी मेंढक दिन-रात सतह पर रहते हैं, यह ज़मीन के नीचे
    • बाकी मेंढकों के मुंह चौड़े, इसका नुकीला

VI. संस्कृति और मान्यता: गांव वालों की आस्था

वेस्टर्न घाट के स्थानीय लोग इसे सिर्फ मेंढक नहीं, बल्कि शुभ जीव मानते हैं।

  • कई जगहों पर मानसून की पहली बारिश के साथ इसे भगवान का प्रतीक माना जाता है।
  • लोग मानते हैं कि इस मेंढक के दिखने से अच्छी बारिश और फसल का संकेत मिलता है।
  • बच्चों को इसकी कहानियाँ सुनाई जाती हैं कि कैसे यह जमीन के नीचे छिपा रहता है और “बारिश की पूजा” करके बाहर आता है।

VII. पारिस्थितिकी तंत्र में भूमिका

यह मेंढक (Indian Purple Frog) सिर्फ खुद ही अनोखा नहीं, बल्कि पूरे जंगल की मिट्टी और इकोसिस्टम के लिए बेहद जरूरी है:

  • मिट्टी के अंदर कीड़ों को खाने से भूमि को संतुलित रखता है
  • सुरंग बनाने से मिट्टी की वेंटिलेशन (हवा का आना-जाना) बेहतर होती है
  • जंगल की खाद्य श्रृंखला में कीट-नियंत्रण का काम करता है
  • बारिश के मौसम में इसकी Tadpoles जल जीवन का अहम हिस्सा बनती हैं

VIII. संकट और संरक्षण: लुप्तप्राय की ओर बढ़ता कदम

हालांकि अभी यह मेंढक पूरी तरह लुप्तप्राय घोषित नहीं है, लेकिन इसके अस्तित्व पर कई संकट हैं:

  • जंगलों की कटाई और बेतरतीब खेती
  • इंसानी दखल से पारिस्थितिकी तंत्र का बिगड़ना
  • सड़क निर्माण, बाँध व शहरीकरण
  • कीटनाशकों और रसायनों का बढ़ता उपयोग

संरक्षण के लिए प्रयास:

  • स्थानीय जंगलों में संरक्षित क्षेत्र बनाए जा रहे हैं
  • वैज्ञानिक अध्ययन और जागरूकता कार्यक्रम
  • स्कूलों और कॉलेजों में इसकी जानकारी बढ़ाई जा रही है

IX. रोचक तथ्य: जानिए Indian Purple Frog के बारे में ये बातें

  1. Indian Purple Frog दुनिया में सिर्फ भारत में पाया जाता है, और वेस्टर्न घाट तक ही सीमित है।
  2. इसका शरीर रंग बैंगनी या बैंगनी-काला, जो इसे पहचानने में आसान बनाता है।
  3. अपने जीवन का 95% हिस्सा ज़मीन के नीचे बिताता है।
  4. बारिश शुरू होते ही सतह पर आता है और बेहद तेज़ी से प्रजनन करता है।
  5. वैज्ञानिकों ने इसे “लिविंग फॉसिल” कहा है।
  6. Indian Purple Frog की आँखें इतनी छोटी हैं कि मिट्टी में कम रोशनी में भी देख सके।
  7. इसका शिकार बहुत कम जानवर कर पाते हैं, क्योंकि ये ज्यादातर छुपा ही रहता है।
  8. स्थानीय भाषा में इसे “भूगर्भ मेंढक” भी कहा जाता है।
  9. Indian Purple Frog के Tadpoles पानी के तेज़ बहाव में भी टिका सकते हैं, जो अनोखा है।
  10. भारत सरकार ने इसे संरक्षित प्रजातियों में रखा है।

X. FAQ – भारतीय बैंगनी मेंढक से जुड़े सवाल-जवाब

Q1. भारतीय बैंगनी मेंढक (Indian Purple Frog) भारत के किन हिस्सों में मिलता है?
A: सिर्फ वेस्टर्न घाट के जंगलों में – केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्र।

Q2. क्या इसे आमतौर पर देखा जा सकता है?
A: नहीं, ये साल में केवल 10–15 दिन ही बाहर आता है, वह भी मानसून की शुरुआत में।

Q3. क्या यह मेंढक विषैला है?
A: नहीं, यह मनुष्यों के लिए पूरी तरह हानिरहित है।

Q4. क्या इसे पालतू बना सकते हैं?
A: नहीं, ये पूरी तरह वाइल्ड एनिमल है और संरक्षण के तहत है।

Q5. क्या Indian Purple Frog पर शोध चल रहे हैं?
A: हाँ, इसकी अनूठी प्रजाति, व्यवहार और जेनेटिक्स को लेकर लगातार रिसर्च हो रही है।


XI. निष्कर्ष: प्रकृति के रहस्यों में छुपा भारतीय बैंगनी मेंढक

Indian Purple Frog न सिर्फ विज्ञान के लिए, बल्कि हमारी संस्कृति और जैव विविधता के लिए भी एक दुर्लभ खजाना है।
इसका जीवन हमें सिखाता है कि प्रकृति के हर जीव का अपना खास महत्व है, चाहे वह जमीन के ऊपर दिखे या नीचे छुपा हो।
यदि हम अपनी विरासत और जैव विविधता को सहेजना चाहते हैं, तो ऐसे अदृश्य जीवों के महत्व को समझना और उनका संरक्षण करना बेहद जरूरी है।


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